चेहरे के ऊपर चेहरे है
जो दिखता है, वही बिकता है
कैसे ना माने ये सच है?
जब शीशा भी झूट बोलता है..
जो मीठा है, वो कड़वा है
जो सच्चा है, वो लुटता है
जो काम करे, वो गधा है
जो 'जी हा' करे वो आगे बढे..
यहाँ बाजार रोज़ सजता है
दिल भी सस्ते में बिकता है
एक ले तो दूसरा मुफ्त
कभी-कभी तो एक के साथ चार भी चलता है
झूठी हसी हसते है
मनो षडयत्र रचते है
कैसे हम विश्वास कर ले
जब शीशा भी झूट बोलता है..
झूट बोला तो क्या गलत किया?
सच बोला तो क्या पा लिया ?
क्या सही और क्या गलत ?
बस यही समझना बाकी है...
जहा खुलेगा वही धमाका
ऐसा ही होता है सच.....
जो दिखता है, वही बिकता है
कैसे ना माने ये सच है?
जब शीशा भी झूट बोलता है..
जो मीठा है, वो कड़वा है
जो सच्चा है, वो लुटता है
जो काम करे, वो गधा है
जो 'जी हा' करे वो आगे बढे..
यहाँ बाजार रोज़ सजता है
दिल भी सस्ते में बिकता है
एक ले तो दूसरा मुफ्त
कभी-कभी तो एक के साथ चार भी चलता है
झूठी हसी हसते है
मनो षडयत्र रचते है
कैसे हम विश्वास कर ले
जब शीशा भी झूट बोलता है..
झूट बोला तो क्या गलत किया?
सच बोला तो क्या पा लिया ?
क्या सही और क्या गलत ?
बस यही समझना बाकी है...
जहा खुलेगा वही धमाका
ऐसा ही होता है सच.....
Beautiful :)
ReplyDeletethank u :)
ReplyDeleteawesome madhuri this is what happening in 2days fake world....good poem...
ReplyDelete@annu :)
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