Friday, August 28, 2009

धारा सा जीवन



समय है चलता जीवन को बदलता
छोटी थी जब नटखट थी में
सहेलियों के संग नाचती गाती
गुडियों के में ब्याह रचाती
हर जन्मदिन नयी जीद में करती
नये कपडे हर त्यौहार सिलवाती
जीद करके हमेशा अपनी बात मानवती
चाहे जैसे भी हो स्कूल की छुटी करवाती
मन ना करता पड़ने का मेरा
ब़स सपनो की दुनिया में जीती 
फिर नदी सा चलता ये जीवन
इस मोड़ पर ले आया मुझे
आज बड़ी हुई तो लगता है मुझे
काश समय को थाम में पाऊ
पर धारा है ये जीवन
ना जाने कहा ले जाएगा
एक दिन फिर ऐसा आयेगा
जब याद करुगी इन पलों को भी में
और समय फ़िर आगे ओर निकल जयेगा .....